मानव जीवन को हमेशा उत्सव और उत्साह से जीने का एक ही उपाय है। अपने सामने वाले की उपलब्धियों पर प्रसन्नता व्यक्त करो। यह सोचकर मत कुढ़ो कि मेरे पड़ोसी अथवा संबंधी ने इतनी तरक्की कर ली और मैं वहीं का वहीं हूं, बल्कि यह सोचो कि ये तो ईश्वर की कृपा है कि सामने वाले को यश-ऐश्वर्य और पद-प्रतिष्ठा प्राप्त हुई है और मैं प्रसन्नता व्यक्त करता हूं। उन्हें हृदय से बधाई देता हूं।
सचमुच जीवन में हमेशा प्रसन्न रहने का यही एक मंत्र है। औरों की प्रसन्नता पर प्रसन्न हो जाइए। तब बन जाएगा जीवन का हर पल पर्व। जब तुम राष्ट्रभक्ति करोगे औरों की तरक्की पर गर्व! वास्तव में जीवन के हर क्षण को एक त्योहार, एक पर्व की तरह जीना है तो ईष्र्या करना छोडि़ए। क्योंकि ईष्र्या मनुष्य को जलाती है। ईष्र्या करने से न तो सामने वाले का नुकसान होता है और न ही स्वयं को लाभ होता। जबकि किसी की तरक्की पर प्रसन्नता व्यक्त करने से हमारा ही मान बढ़ता है। इस आचरण से समाज भी प्रसन्न होता है और प्रभु भी प्रसन्न होकर तुम्हारी तरक्की का द्वार खोलने लगते हैं। हां, किसी की उपलब्धियों से प्रेरणा लो और यह सोचो कि जीवन का ऐसा कौन सा रास्ता है जिस पर चलकर हम भी ऊंचाइयां छू सकते हैं। सत्ता और सम्पन्नता प्राप्त कर सकते हैं। उसके लिए जरूरी हो तो जीवन शैली बदलो। अपने लक्ष्य को साधो और उसे पूरा करने के लिए संघर्ष करो। वास्तव में यदि तुम्हारा लक्ष्य राम और राष्ट्रभक्ति का है। आम जनमानस का हित साधना है तो फिर तुम्हारे संकल्प को साकार करने समाज साथ खड़ा हो जाएगा। औरों की तरक्की पर प्रसन्नता से भरा तुम्हारा स्वभाव तुम्हें एक नेक आदमी बना देगा। उपलब्धियों से भर देगा और तुम्हारे जीवन का हर पल एक पर्व बन जाएगा।