मध्यप्रदेश का माफिया हैदराबाद पहुंचाता था अनाज



इंदौर.
अंतरराज्यीय राशन घोटाले का अनाज हैदराबाद तक पहुंचाया जा रहा था। जांच में पता चला कि सरगना भरत दवे, श्याम दवे व प्रमोद दहीगुड़े ने उपभोक्ता संघ के जरिए आरोपियों की नेटवर्किंग करता था। इसी का सहारा लेकर हैदराबाद तक सस्ती दरों में अमाज पहुंचाता था। मध्य प्रदेश के सबसे बड़े खाद्यान्न घोटाले में यह भी पता चला है कि जो अनाज इंदौर से जबलपुर होते हुए नागपुर और वहां से हैदराबाद में भेजा जाता था। इंदौर में इस मामले में जारी जांच के बाद कलेक्टर मनीष सिंह ने राशन घोटाले के मुख्य आरोपी श्याम दवे पिता बालकष्ण दवे और भरत दवे पिता विजय दवे के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई के आदेश दिए हैं। दोनों तहत गरीबों और जरूरतमंदों को ही आरोपी संगठित रूप से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीबों और जरूरतमंदों को मिलने वाले राशन और केरोसिन को नकली बिलों के जरिए मध्य प्रदेश के अलावा अन्य पड़ोसी राज्यों में बेचने के काम में जुटे थे।

    इंदौर जिला प्रशासन के निर्देश पर खाद्य विभाग के जांच दल द्वारा शहर की 12 राशन की दुकानों की निगरानी की जा रही थी। निगरानी के दौरान पाया गया कि पीओएस मशीन की उपलब्धता के बावजूद दुकानों पर 185625 किलो गेहं, 69855 किलो चावल. 3179 किलो नमक, 423 किलो शक्कर, 2201 किलो चना दाल, 1025 किलो साबत चना, 472 किलो तुअर दाल. 4050 लीटर केरोसिन की कालाबाजारी की गई है।

कैसे पनपी भ्रष्टाचार की बेल ?

सरकार राशन की दुकान तक गरीबों के लिए अनाज भेजती। लेकिन उपभोक्ता को तय मात्रा से कम अनाज दिया जाता। बाकी अनाज को किसी दूसरे गोदाम में शिट कर दिया जाता। उपभोक्ता के नाम पर फर्जी एट्री लिख दी जाती। इस तरह जब गोदाम में बड़ी मात्रा में अनाज इक_ा हो जाता तो उसका फर्जी बिल तैयार किया जाता। यहां पर भी किसी भ्रष्ट अफसर का ईमान बिकने को तैयार होता था। अब चुनौती थी कृषि उपज मंडी से अनाज को बाहर ले जाने की। वहां फर्जी बिलों के आधार पर मंडी शुल्क चुकाया जाता। साथ ही दूसरी जगहों के व्यापारियों को माल बेचने की फर्जी रसीद भी दिखाई जाती। अब बारी थी माल को खपाने की। इसके लिए देश में दूसरी जगहों पर ऐसे व्यापारियों की तलाश की जाती, जो चोरी का माल खरीद लें।

अन्य राज्यों के लिए बनते थे फर्जी बिल

इंदौर की 500 दुकानों पर जो अनाज आता था, उस अनाज को गरीब पात्र हितग्राहियों को देने के बजाय उसकी कालाबाजारी कर दी जाती थी। इसके लिए भरत दवे और श्याम दवे ने विभिन्न जिलों और राज्यों में अपना जो नेटवर्क फैला रखा था। उस नेटवर्क के जरिए यह आरोपी मंडियों के अलावा चावल फैट्री और दाल मिलों आदि से फर्जी बिल तैयार करवाते थे। इन बिलों के जरिए अनाज खरीदना दिखाकर इसी अनाज को जबलपुर-नागपुर के रास्ते ट्रकों से हैदराबाद भेज दिया जाता था।