भोपाल. मप्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र अब टल गया है। ऐसे में अब विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2020- 21 की अवधि के लिए प्रथम अनुपूरक बजट सदन में पेश नहीं हो सका। लिहाजा अब अनुपूरक बजट के लिए एक बार फिर राज्य सरकार को अध्यादेश का सहारा लेना पड़ा यह लगातार तीसरी बार है कि जब बजट के लिए राज्य सरकार को अध्यादेश का सहारा लेना पड़ रहा है।
इसी वर्ष मार्च में मप्र में कोविड-19 ने दस्तक दी थी। प्रदेश में फरवरी-मार्च में राजनीतिक संकट गहराने के कारण वित्तीय वर्ष2020-21 का बजट विधानसभा में पेश नहीं किया जा सका था। आखिरकार भारी राजनीतिक उठा-पटक के बीच कांग्रेस सरकार का 20 मार्च को पतन हो गया था, जब कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी और शिवराजसिंह चौहान ने 23 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद नई सरकार के सामने नए वित्तीय वर्ष के बजट को लेकर संकट की स्थिति पैदा हो गई। ऐसे में राज्य सरकार ने आनन-फानन में लेखानुदान तैयार कराया। इससे पहले वित्त विभाग ने मुख्य बजट के हिसाब से तैयारियां की थीं। लिहाजा बेहद कम समय में भाजपा सरकार के एजेंडे के हिसाब से लेखानुदान तैयार किया गया। एक लाख 66 करोड़ 74 लाख 81 हजार रुपए के लेखानदान को 30 मार्च से पहले पारित किया जाना जरूरी था। ऐसे में लेखानदान के लिए मप्र विनियोग लेखानदान अध्यादेश -2020 लाया गया। यह लेखानुदान चार माह के खर्च के हिसाब से लाया गया था।
आखिरकार अध्यादेश लागू होने के बाद एक अप्रैल से प्रदेश में वित्तीय संकट की स्थिति नहीं बनी और राज्य सरकार को खर्च के लिए चार माह के लिए राशि का इंतजाम हो गया। यानी जुलाई तक के लिए राशि का इंतजाम कर लिया गया। उसके बाद एक अगस्त से पहले बजट सत्र आहूत कर वित्तीय वर्ष के बजट को पारित किया जाना जरूरी था, लेकिन कोरोना के कहर के चलते इस अवधि तक भी विधानसभा का सत्र संचालित नहीं हो सका। ऐसे में एक बार फिर राज्य सरकार के सामने वित्तीय संकट गहराने के आसार बन गए। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने 28 जुलाई को एक बार फिर मप्र विनियोग अध्यादेश -2020 जारी किया। दो लाख 5 हजार 397 करोड़ 49 लाख 96 हजार रुपए के बजट में कई विभागों पर कटौती की मार पड़ी यह बजटतो वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजटभी कम रहा। राज्य सरकार के संसाधनों से होने वाली आय में कमी और केंद्र से मिलने वाली राशि में कमी के कारण बजटमें कटौती करने की नौबत आई।
बाद में अक्टबर में हए विधानसभा सत्र के दौरान विनियोग विधेयक पारित किया गया और इस तरह बजट को विधानसभा की औपचारिक मंजूरी मिल सकी उसके बाद अब संभावना बनी थी कि विधानसभा का शीतकालीन सत्र होगा, लेकिन विधानसभा के 60 से अधिक कर्मचारियों के साथ ही कुछ विधायकों के कोविड -10 से संक्रमित होने के बाद तीन दिनी सत्र को से के बाद तीन दिनी सत्र को स्थगित कर दिया गया है। यह सत्र 28 से 30 दिसंबर तक आहूत किया गया था, लेकिन बाद में सर्वदलीय बैठक में सहमति के बाद सत्र स्थगित कर दिया गया।
इधर सत्र के स्थगित होने से राज्य सरकार के विधायी कामकाज पर असर पड़ा है। अब विधानसभा अगला सत्र बजट सत्र ही होगा, जो कि फरवरी में आहुत किया जाएगा। बजट सत्र में ही राज्य सरकार का नए वित्तीय वर्ष 2021-22 का बजट पेश होगा, वहीं वित्तीय वर्ष 2020-21 के अनुपूरक बजट को भी मंजूरी मिलेगी। उससे पहले अब एक बार फिर अनुपूरक के लिए अध्यादेश लाने की तैयारी कर ली गई है। बताया जा रहा है कि इसी सप्ताह इस संबंध में अध्यादेश लाया जाएगा। यह अध्यादेश राज्यपाल की मंजूरी के बाद प्रभावी हो जाएगा। यह लगातार तीसरा मौका है, जब लेखानुदान, विनियोग और अनुपूरक के लिए अध्यादेश का सहारा लिया जा रहा है।
20 हजार करोड़ जति से अधिक का अनुपूरक बजट
यह अनुपूरक बजट राज्य सरकार के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। मुख्य बाजार में विभागों के बजट में बड़ी कटौती की गई थी। अब इस अनुपूरक बजट के जरिए ही राज्य सरकार मुख्य बजट में हुई कटौती की भरपाई की कोशिश करेगी। ये अनुपूरक बजट 20 हजार करोड़ रुपए से अधिक का होगा। अनुपूरक में सबसे अधिक किसानों के लिए राशि का इंतजाम किया जाएगा। किसान राज्य सरकार के विकास के एजेंडे के केंद्र बिंदु में है। किसानों को आत्मनिर्भर बनाए बगैर आत्मनिर्भर मप्र के लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकता।