मुगल शासक हुमायूं के समय हुआ था अजमेर दरगाह का निर्माण


अजमेर देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में अजमेर शरीफ दरगाह के लिए प्रसिद्ध है। सूफी संत ख्वाजा मोइनउद्दीन चिश्ती की वह दरगाह भारत के सबसे अहम तीर्थस्थलों में से एक है। अजमेर शरीफ दरगाह का निर्माण मुगल शासक हुमांयू ने करवाया था और उनके बाद के शासकों अकबर और शाहजहां ने दरगाह कॉम्प्लेक्स में कई मस्जिदों का निर्माण करवाया। दरगाह के बीचों बीच स्थित है सूफी संत चिश्ती की संगमरमर से बनी कब्र। चिश्ती की दरगाह पर फूल, चादर और मिठाईयां चढ़ायी जाती हैं। अगर आप दरगाह पर जाएं और आपके पास समय हो तो यहां होने वाली कव्वाली को सुनना न भूलें। यह आमतौर पर गुरुवार और शुक्रवार की शाम को होती है। 



कुछ खास बातें







      • सर्दियों के मौसम में दरगाह सुबह 5 बजे से लेकर रात 9 बजे तक और गर्मियों के मौसम में सुबह 4 बजे से लेकर रात 10 बजे तक खुला रहता है। बीच में 3 बजे से 4 बजे के बीच ब्रेक रहता है। साथ ही दरगाह के अंदर जाने के लिए कोई एंट्री फी भी नहीं है।

      • दरगाह के अंदर किसी तरह का बैग या सामान ले जाना मना है। आप सिर्फ मोबाइल फोन अपने साथ ले जा सकते हैं। दरगाह के अंदर कैमरा ले जाना भी मना है।

      • महिलाओं के लिए सिर पर दुपट्टा बांधकर रखना और पुरुषों के लिए सिर पर टोपी पहनकर दरगाह के अंदर जाना बेहद जरूरी है।