मंदोदरी की पूजा से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने दिए थे दर्शन


दुनिया में कई मंदिर हैं जो भोलेनाथ के है और सावन के महीने में उन मंदिरों का ख़ास महत्व हो जाता है। ऐसे में मेरठ का श्री बिल्वेश्वर नाथ महादेव मंदिर रामायण कालीन है और कहते हैं कि इस मंदिर में रावण की पत्नी मंदोदरी पूजा करती थीं। जी हाँ, वहीं उस समय उनकी पूजा से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें वर दिया था। मान्यता है कि इस मंदिर में पूजा करने से महादेव प्रसन्न होकर सुयोग्य वर की कामना पूरी करते हैं। यहां बिल्वपतरों बेलपत्थर के अनेक पेड़ थे जो महादेव को बहुत पसंद हैं इस कारण से मंदिर को बिल्वेश्वरनाथ महादेव मंदिर कहा जाता था। लंकापति रावण की पत्नी मंदोदरी पूजा के लिए आती थीं। मेरठ में मंदोदरी का मायका था। भगवान शिव ने मय दानव की पुत्री मंदोदरी की तपस्या से खुश होकर उन्हें इसी मंदिर में दर्शन दिए थे। मंदोदरी ने लगातार 40 दिन तक यहां दीपक जलाया था। इस मंदिर में श्रद्धाभाव से भगवान शिव की आराधना करने और 40 दिनों तक दीपक जलाने से मनोकामना पूरी होती है। इसी मंदिर में रावण की पहली बार मंदोदरी से मुलाकात हुई थी। आप सभी को बता दें कि श्री बिल्वेश्वर नाथ महादेव मंदिर की एक खासियत ये भी है कि इसका मुख्य द्वार उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम के जैसा है और इस मंदिर के अंदर द्वार छोटे हैं, जिनमें झुककर ही प्रवेश किया जा सकता है। वहीं अंदर लगे पीतल के घंटे भी खास तरह की ध्वनि निकालते हैं और अंदर एक कुआं है, जिसके बारे में मान्यता है कि यहीं से जल निकालकर मंदोदरी शिवलिंग पर चढ़ाती थी। आपको बता दें कि यहां स्थापित शिवलिंग धातु का बना है, जबकि आमतौर पर मंदिरों में स्थापित शिवलिंग पत्थर का होता है।