देश भर में हनुमान जी के कई मंदिर हैं जहां उनकी अलग प्रतिमा के साथ चमत्कारों का वर्णन होता है। भगवान जीतनी जगह जाते हैं हर जगह अपनी एक अलग माया दिखाते हैं और उसी माया के आधार पर वहां मंदिर बना दिया जाता है। मध्यप्रदेश के इंदौर में प्रसिद्ध रणजीत हनुमान मंदिर है। इस मंदिर में हनुमान जी अपने हाथ में तलवार लिए सभी को जीत का आशीर्वाद देते हुए हैं। कहा जाता है कि यहां कई राजा युद्ध लडऩे से पहले जीत का आशीर्वाद लेने आते थे और आज तक किसी की आशीर्वाद लेने के बाद हार नहीं हुई। आजकल लोग यहां परेशानियों का हल जानने के लिए आते हैं और साथ ही जीत का आशीर्वाद लेकर ही वापस जाते हैं।
विश्व का एक मात्र मंदिर
मध्यप्रदेश के इंदौर में रणजीत हनुमान मंदिर है जहां लोग सालभर अपनी जीत का आशीर्वाद लेने जाते हैं। रणजीत हनुमान जी के मंदिर की विशेषता है की यहां हनुमानजी ढाल और तलवार लिए विराजमान हैं। यह विश्व का एकमात्र ऐसा हनुमान मंदिर है जहां हनुमान जी अपने हाथ में ढाल और तलवार के साथ खड़े हैं और उनके चरणों में अहिरावण है। इस मंदिर की स्थापना सवा सौ साल पहले की गई थी। वैसे तो मंदिर स्थापना व इतिहास को लेकर कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। यह हनुमान प्रतिमा को देख कर लगता है की वे किसी युद्ध में जाने की तैयारी में हैं।
मंदिर से जुड़ीं मान्यताएं
मंदिर को लेकर लोगों का कहना है कि अगर हनुमानजी के सामने आधा घंटा मन लगाकर ध्यान लगा लिया जाए तो आपकी सभी परेशानियों का हल आपको तुरंत मिल जाता है। भगवान आपको कोई ना कोई रास्ता जरुर दिखा देते हैं।
सावन में रहता है विशेष महत्व
मंदिर में भगवान शिव के दर्शन के लिए सबसे अच्छा समय सावन व शिवरात्रि का होता है। सावन के पावन माह में मंदिर बहुत ही अच्छे से सजाया जाता है व यहां भक्तों की भीड़ से मंदिर व आसपास का माहौल शिवमय हो जाता है वहीं भक्तों द्वारा भोले के जयकारें मन को प्रसन्न कर देते हैं। सावन माह में यह मंदिर भक्तिगतिविधियों से भरा होता है। सोमवार के दिन विशेष रूप से भगवान शिव के दर्शन के लिए भक्त आते क्योंकि सोमवार का दिन भगवान शिव का दिन होता है।
दिल्ली में स्थित है मंदिर
मंदिर युमना बाजार क्षेत्र, सलीमघढ़ किले, रिंग रोड़, कश्मीरी गेट, नई दिल्ली में स्थित है। मंदिर के एक तरफ महात्मा गांधी रोड़ है जहां से मंदिर के ऊपर बने गुंबद में जाया जा सकता है और दूसरी तरफ सड़क है जिसको लोहे वाले पूल की सड़क के नाम से जाना जाता है जो पुरानी दिल्ली से गांधी नगर जाती है। इस सड़क पर मंदिर का मुख्य द्वार है।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार दो राजाओं की लड़ाई में एक राजा जंग हारने की कगार पर पहुंच गया। भागते हुए वह भर्तहरी गुफा में पहुंचा, जहां पर एक महात्मा अपने ध्यान में लिप्त थे। राजा काफी देर यहां बैठा रहा और जब महात्मा अपने ध्यान से मुक्त हुए तब उन्होंने राजा को कुछ रोटी के टुकड़े दिए और कहा कि इन्हें रास्ते में डालते जाना और जब तक यह खत्म ना हो जाएं, पीछे मुड़कर मत देखना। जहां ये टुकड़े खत्म होंगे वहां तुम्हें एक मंदिर मिलेगा और वहीं तुम्हारी सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी। राजा ने महात्मा के कहे अनुसार ऐसा ही किया, और जिस मंदिर के बाहर रोटी के टुकड़े खत्म हुए वो हनुमान जी का मंदिर था। राजा ने पीछे मुड़कर देखा तो एक बड़ी सेना उसके पीछे थी, उसने फिर युद्ध किया और उसे विजय हासिल हुई।
लड्डू का लगता है भोग
नीली छतरी की विशेषता इस मंदिर की सुंदरता को और बढ़ा देती है। नीली छतरी एक गुम्बद है जो कि नीले रंग के पत्थर से बना हुआ है। लोगों के अनुसार किसी समय में ये नीलम पत्थर से बना मंदिर था। रात के समय में चन्द्रमा की रोशनी जब नीले पत्थर पर पड़ती थी, तब इसके प्रकाश से आसपास का माहौल नीला हो जाता था। इसी कारण इस मंदिर का नाम नीली छतरी मंदिर पड गया था। इस मंदिर में गुंबद के नीचे भगवान शिव की पूजा की जाती है और वहीं ऊपर मंदिर के अलग देवताओं को पूजा जाता है। मंदिर को लेकर माना जाता है की व्यक्ति की मनोकामना पूर्ति के लिए उसे शिव जी को यहां पांच लडडू का प्रसाद चढ़ाना होता है। भोलेनाथ को इस चीज का प्रसाद चढ़ाने से उक्त व्यक्ति की सारी इच्छाएं व मुरादें पूरी हो जाती है।