भोपाल। सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश पर महाराष्ट्र की तर्ज पर प्रदेश में हर साल ओपन जेलें खोली जाएंगी। अच्छे आचरण वाले कैदियों को उनके परिजनों के साथ इन जेलों में रखा जाएगा। छिंदवाड़ा में प्रदेश की सातवीं ओपन जेल खुलने के बाद आधा दर्जन और खुली जेलें खोलने का मसौदा तैयार किया जा रहा है।
खुली जेल में रह रहे कैदी प्रतिदिन हजार रुपए तक कमा रहे हैं। इससे जहां कैदियों को शासन से मिलने वाली आर्थिक सहायता बंद होने से शासन को वित्तीय फायदा हो रहा है, वहीं कैदी और उनके परिजनों का खुशहाल जीवन बीत रहा है। फरवरी माह में यहां जेल विभाग के डीजी स्तर के अधिकारियों के दो दिवसीय सेमिनार में आए सुझावों के आधार पर जहां जेलों में सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं वहीं प्रदेश में महाराष्ट्र की तरह अधिकाधिक ओपन जेलें खोलने पर मंथन जारी है। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में हर साल 6 ओपन जेल खोलने पर विचार-मंथन चल रहा है।
खुली जेल के प्रावधान
सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ऐसे कैदियों को खुली जेल में रखा जाता है, जिनका जेल में सजा के दौरान आचरण अच्छा रहा है और किसी तरह का जेल में दंड नहीं मिला है। दो से तीन साल की सजा ही शेष रहने के साथ, पैरोल पर छूटने के बाद नियमित समयावधि में वापसी, परिजनों की सहमति, पुलिस का चरित्र सत्यापन, ताकि उनके या परिवार के किसी सदस्य के खिलाफ कोई आपराधिक प्रकरण दर्ज न हो। सजा के दौरान कैदियों ने जेलों में कम्प्यूटर, दर्जी, कारपेंटर, नाई, धोबी, रसोइया आदि का प्रशिक्षण लिया हो, ताकि खुली जेल में रहने के दौरान उन्हें रोजगार के अवसर मिल सकें। इन मापदंडों के आधार पर खुली जेल में रहने वाले कैदियों का चयन किया जाता है। जिन कैदियों का खुली जेल में रहने के लिए चयन किया जाता है, उन्हें शासन से मिलने वाली आर्थिक मदद बंद कर दी जाती है।
हर दिन 500 रूपए की कमाई
खुली जेलों में रहने वाले कैदी प्रतिदिन पांच सौ रुपए तक कमा रहे हैं। कैदी चाय-नाश्ते, सैलून की दुकान लगाकर तथा लोगों के ऑर्डर पर घर जाकर सैलून का काम करने, कारपेंटर, दर्जी, रसोइया, मैकेनिक, कम्प्यूटर का काम करने वाले कैदी जेल से बाहर रहकर स्वयं के रोजगार पर परिवार के साथ खुशहाल जीवन जी रहे हैं। हाल ही में भोपाल की ओपन जेल में दस कैदी और उनके परिवार शिफ्ट किए गए हैं। ये कैदी स्वयं के रोजगार से प्रतिदिन तीन से पांच सौ रुपए कमा रहे हैं। कैदी के साथ उनके परिजन (महिलाएं) घरों में खाना बनाने से लेकर अन्य काम कर माह में चार से पांच हजार रुपए कमा रही हैं।
यह है कमेटी
खुली जेल खोलने के मामले में की जा रही कार्यवाही की नियमित मॉनिटरिंग करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस अमिताभ राय की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। इसमें तिहाड़ जेल के डीजी और बीपीआरएंडडी के आईजी सदस्य हैं। यह कमेटी प्रदेश में खुली जेलों की संख्या में नियमित बढ़ोतरी, जेल में रिक्त पदों की पूर्ति और बंदियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी कराने के मामलों में राज्य सरकारों द्वारा की जा रही कार्यवाही की लगातार समीक्षा कर समय-समय पर समीक्षा रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश करती है, ताकि राज्य सरकारें इन मामलों में कार्यवाही में तेजी लाएं।