इंद-इंद्र देवताओं के देवता थे लेकिन वे कुंभकर्ण से ईर्षा करते थे क्योंकि वह बहुत बुद्धिमान और बहादुर था। इसके लिए इंद्र कुंभकर्ण से बदला लेने के लिए सही समय का इंजार कर रहे थे।
यज्ञ - तीनों भाई रावण, कुंभकर्ण और विभीषण ने ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ और यागा किया।
वरदान या अभिशाप- यज्ञ से प्रसन्न होके तीनो भाइयों को वरदान देने के लिए ब्रह्मा प्रकट हुए और उन्होंने कुंभकर्ण से पूछा की उसे क्या वरदान चाहिए। तब कुंभकर्ण ने कहा कि उसे इंद्रासन चाहिए लेकिन उसके मुँह से निद्रासन निकला।
व्याकुल कुंभकर्ण- जब कुंभकर्ण ने इंद्रासन की बजाये निद्रासन कहा तब उसे अपनी गलती का अहसास हुआ की उसने क्या कहा दिया। जब तक उसे कुछ समझ आता ब्रह्मा तथाअस्तु बोल चुके थे। हालांकि कुंभकर्ण ने कहा कि उसकी इच्छा पूरा ना करें लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
इंद्र की चाल- जैसे की हम सब जानते थे कि इंद्र कुंभकर्ण ईर्षा करते थे। जिसके चलते इंद्र ने देवी सरस्वती से जाके अनुरोध किया कि कुंभकर्ण इंद्रासन की बजाये निद्रासन कहे।
कुंभकर्ण की नींद - तभी से कुंभकर्ण 6 महीने की नींद में चले जाने के बाद फिर से 6 महीने के बाद तग जगता रहा और उसे जो कुछ भी प्राप्त हुआ वह उससे अपनी भूख मिटाता रहा।
किस कारण से कुंभकर्ण सोता था ६ महीनों तक, जाने रहस्य