अढ़ाई दिन का झोंपड़ा एक मस्जिद है जो राजस्थान के अजमेर शहर में स्थित है। यह भारत की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक मानी जाती है जो 1199 ई.वी में बनवायी गयी थी और यह अजमेर की सबसे पुरानी स्मारक भी हैं। माना जाता है कि यह ढाई दिन में बनवाई गयी थी। मस्जिद विशेष रूप से मोहम्मद गौरी के आदेश पर कुतुब उद दीन ऐबक द्वारा बनाई गई थी। मस्जिद 1192 में बननी शुरू हुई थी जो 1199 में बनकर पूरी हुई। अढ़ाई दिन का झोपड़ा मस्जिद का निर्माण एक संस्कृत विश्वविद्यालय के अवशेषों पर हुआ।, जो खंडित हुए हिंदू और जैन मंदिरों की सामग्री से बनाया गया था और यह भारत में सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक है और यह अजमेर में सबसे पुरानी मौजूदा स्मारक के रूप में भी जानी जाती है। अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के बाद यह प्रसिद्ध मस्जिद है। यह भारत-इस्लामी वास्तुकला का एक बड़ा उदाहरण है और राजस्थान के पर्यटकों का भी आकर्षण का केन्द्र है। यह जगह अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा प्रबंधित और संरक्षित की गयी है।
इस मस्जिद की वास्तुकला प्राचीन भारत-इस्लामी संरचना से प्रेरित है और यही कारण है कि मस्जिद को एक चकोर आकार की इमारत में देखा जा सकता है जिसके चारों ओर कई स्तंभ हैं। यह मस्जिद दिल्ली की कुवत्त-उल-इस्लाम मस्जिद से काफी बड़ी है और इसके दो प्रवेश द्वार हैं। मस्जिद में 10 गुंबद और 124 स्तंभ हैं, जिन पर सुंदर नक्काशियों का काम किया गया हैं। इमारत में कुल मिलाकर 344 खंभे हैं, जिनमें से केवल 70 अच्छी हालत में हैं और बाकी सब खराब स्थिति में हैं। मस्जिद पीले चूना पत्थर से बनायी गयी है, इसपर पवित्र कुरान के अभिलेख है और अरबी वास्तुकला से प्रेरित कई पुष्प डिजाइन भी हैं। मस्जिद भारत-इस्लामिक वास्तुकला का एक सटिक उदाहरण है क्योंकि यहां कई खूबसूरत तंतुओं का काम भी देखा जा सकता है जो हिंदू वास्तुकला से प्रेरित है जिसे प्राचीन हिंदू मंदिरों में देखा गया है।
1199 में बनवाई गई थी अढ़ाई दिन का झोपड़ा मस्जिद