भोपाल। प्रदेश में अब फर्जी बैंकिंग, चिटफंड और पोंजी कंपनियों पर कमिश्नर कार्रवाई कर सकेंगे। साथ ही एक से ज्यादा राज्यों में कंपनियों का नेटवर्क फैला होने पर उनके खिलाफ सीबीबाई जांच कराई जाएगी।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में धन दुगना करने के नाम पर इन चिटफंड कपंनियों ने निवेशकों को जमकर लूटा। इसी तरह प्रोडक्ट का सहारा लेकर जमा राशि का तीन गुना रुपया देने का वायदा कर निवेशकों को बेवकूफ बनाया गया। बीते दो साल में ही मुंबई, जयपुर, भोपाल, इंदौर से संचालित सैकड़ों कंपनियां जमा राशि व लाभांश लौटाने में नाकाम रहीं।
कमलनाथ सरकार ने आमजन से ठगी करने वाली इन कंपनियों पर शिकंजा कसने हेतु कमिश्नर की शक्तियों में विस्तार किया है। कमिश्नर के पास अब ऐसी कंपनियों पर छापामार कार्रवाई से लेकर उन्हें बंद कराने तक के भी अधिकार होंगे। राज्य स्तर पर इन मामलों की सुनवाई के अधिकार गृह सचिव को को दिए गए हैं। वहीं अपर कलेक्टर अपने क्षेत्र में ऐसी कंपनियों की शिकायत मिलने पर कार्रवाई करेंगे। अवैध बैंकिंग करने वाली इन कंपनियों पर नए द बैनिंग ऑफ अनरेग्युलेटेड डिपॉजिट स्कीम एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। बीते पंद्रह साल में कलेक्टर को ज्यादा शक्तिशाली बनाया गया। इससे कमिश्नर रस्म अदायगी के अधिकारों तक रह गए।
केंद्र के द बैनिंग ऑफ अनरेग्युलेटेड डिपॉजिट स्कीम एक्ट का प्रदेश में नोटिफिकेशन किया गया तो कमिश्नर को सबसे ज्यादा अधिकार दिए गए। अगर कोई डिपॉजिट टेकिंग स्कीम बिल में लिस्टेड रेगुलेटरों के पास रजिस्टर नहीं की गई है तो उसे अनरेगुलेटड माना जाता है। आरबीआई से बिना रजिस्टर्ड कराए बैंकिंग करने वाली कंपनी या संस्थान भी इस दायरे में आते हैं।
ये होंगे दायरे में
अवैध तरीके से पैसा जमा कराने वाली कंपनियां, मासिक रुपए जमा करके सोना-चांदी खरीदने का ऑफर देने वाले, आरबीआई से बिना रजिस्टर्ड बैंक बनाने वाली कंपनियां, संस्थान, चिटफंड या पौंजी कंपनियां अब इसके दायरे में होंगे।
सख्त प्रावधान
अनरेगुलेटेड डिपॉजिट लेने पर 2-7 साल तक की सजा और 3-10 लाख रुपए तक का जुर्माना भरना होगा। रीपेमेंट में डीफॉल्ट करने पर 3-10 साल तक की सजा और पांच लाख रुपए से लेकर डिपॉजिटर्स की जमा राशि का दोगुना जुर्माना भरना होगा। बार-बार अपराध करने पर 5-10 साल जेल, 10 लाख से 5 करोड़ तक का जुर्माना होगा।
''केंद्र के द बैनिंग ऑफ अनरेग्युलेटेड डिपॉजिट स्कीम एक्ट का नोटिफिकेशन कर दिया है। इसके तहत कमिश्नरों को कार्रवाई के अधिकार दिए हैं। इससे ठगी करने वाली कंपनियों पर लगाम लग सकेगी।
- मनोज गोविल,
प्रमुख सचिव, वित्त