ठगी के नए तरीकों से चूना लगा रहे जालसाज
भोपाल
सायबर अपराध संबंधित वारदातों को अंजाम देने वाले बदमाश ठगी के नए-नए तरीकों से लोगों को चूना लगा रहे हैं। बदमाशों ने कई वेबसाइट पर नामी कंपनियों के फर्जी कस्टमर केयर नंबर डाल रखे हैं। इन पर कॉल करते ही संबंधित व्यक्ति के मोबाइल पर एसएमएस के माध्यम से एक लिंक भेजी जा रही है। इस पर क्लिक करने, अतिरिक्त सायबरअफसरो सायलर शफसरों लिंकको जानकारी देने अथवा इन्हें फॉरवर्ड करने पर बैंक ने एडवाइजरी खातों से रुपए गायब हो रहे हैं। . इस तरह की कई शिकायतें सायबर सेल में आने जारी कर लोगों के बाद सायबर सेल के अफसरों ने एडवाइजरी जारी को किया अलर्ट कर लोगों को अलर्ट करते हुए कहा कि लोग ऐसे एसएमएस से आने वाली लिंकों पर क्लिक न करें।
सायबरअफसरो सायलर शफसरों ने एडवाइजरी जारी कर लोगों को किया अलर्ट
सायबर सेल के अधिकारियों के अनुसार कई लोगों ने नामी कंपनियों से मिलते-जुलते नाम से कंपनियां रजिस्टर करवा रखी हैं। किसी कंपनी का कस्टमर केयर नंबर सर्च करने पर फर्जी नंबर सामने आता है। फोन लगाने पर संबंधित व्यक्ति आपके मोबाइल पर एक मैसेज भेजता है और इस मैसेज को किसी दूसरे नंबर पर फारवर्ड करने के लिए कहता है। मैसेज फारवर्ड करते ही बैंक अकाउंट से रुपए ट्रांसफर हो जाते हैं। ये जालसाज लोगों से एप्लीकेशन (एप) को डाउनलोड करने के लिए कहते हैं। एप्लीकेशन डाउनलोड होते ही मोबाइल, कम्प्यूटर व लैपटॉप की स्क्रीन सामने वाले व्यक्ति के मोबाइल पर भी दिखने लगती है। इससे वह संबंधित व्यक्ति के बैंक खाते व क्रेडिट व डेबिट कार्ड की जानकारी ले लेता है और बैंक खाते से रुपए कर देता है। अफसरों के मताबिक जो शिकायतें मिल रही हैं उनकी जांच में पता चला है कि अनजान व्यक्तिको नसायलिंक भेजी जाती है। जैसे ही व्यक्ति लिंक को क्लिक करता है उसमें एग्री का ऑप्शन आता है। एग्री करते ही ठग बैंक खाते से रुपए गायब कर देते हैं। कई बार सामने वाला व्यक्ति मोबाइल फोन पर आए वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) को बताने के लिए कहता है। ओटीपी बताते ही आपके खाते से रुपए गायब हो जाते हैं।
ठगी से बचने के तरीके
रात सायबर सेल के अधिकारियों के मुताबिक ऑनलाल ठगी से बचने के लिए नामी सर्व इंजनों पर भी किसी भी कंपनी का कामर केयर नंबर नलारों, कंपनी की अधिकृत वेबसाइट पर जाकर नंबर लें। हो सके तो कंपनी की लोकल बांव में जाकर समस्या बताएं और कस्टमर केयर नंबर लें। फोन पर किसी भी व्यक्ति के कटनेपा एप्लीकेशन डाउनलोड नक, ओपी नंबर किसी को भी न बताएं और न ही किसी ठगबैंक अधिकारी बनकर लोगों को मोबाइल पर फोन करते हैं और ओटीपी पता करने का प्रयास करते हैं। जो लोग झांसे में आकर बता देते हैं. कुछ देर में उनके खाते से राशि ट्रांसफर हो जाती है। ऑनलाइन खरीदी में इस राशि का उपयोग करते हैं।
राज्य सायबर सेल में आई शिकायत के अनुसार इंदौर ऑनलाइनड़ी खरीदी थी। घड़ी कस्टमर केयर नंबर तलाश की थी। इसके बाद कस्टमर मोबाइल फोन पर एक मैसेज भेजा कहा। मैसेज फारवर्ड करते ही रुपा भारास हो गए। इसी संचालित करता है। इसी माह का पेमेंट गूगल पे से किया । शिकायत दर्ज करवाने सर्व किया।