90 फीसदी इंजीनियरिंग कॉलेजों के पास नहीं है एनबीए सर्टिफिकेट

एडमिशन से पहले छात्र-छात्राएं कॉलेज का स्तर जान सकें, इसके लिए यूजीसी ने सभी डिग्री कॉलेजों की नेशनल असेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल (नैक) एवं इंजीनियरिंग कॉलेजों को नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रीडिटेशन (एनबीए) से सर्टिफिकेट अनिवार्य किया है।


 


स्थिति यह है कि अभी भी प्रदेश के ९० फीसदी कॉलेजों के पास एनबीए सर्टिफिकेट नहीं है। सर्टिफिकेट न होने के कारण विद्यार्थियों को कॉलेज का स्तर पता नहीं चल पाता और कॉलेज भी अपनी वेबसाइट बढ़ा-चढ़ाकर सुविधाओं को दर्शाते हैं, ऐसे में विद्यार्थी कॉलेजों के झांसे में आ जाते हैं और दाखिला भी ले लेते हैं। जब तक वास्तविक स्थिति जब पता चलती है, तब तक देरी हो चुकी होती है। फीस जमा होने के कारण विद्यार्थी कॉलेज भी चेंज नहीं कर सकते।
तकनीकी शिक्षा विभाग हर साल इंजीनियरिंग कॉलेजों को एनबीए सर्टिफिकेशन के लिए निर्देश जारी करता है, लेकिन सख्ती न होने के कारण पालन नहीं हो रहा है। दरअसल, यूजीसी ने टेक्निकल एजुकेशन रेगुलेशन-२०१४ में नैक और एनबीए की अनिवार्यता की थी, लेकिन छह साल बाद भी प्रदेश में संचालित करीब २२४ इंजीनियरिंग कॉलेजों में से बमुश्किल १० फीसदी कॉलेज ही ऐसे हैं, जनके पास नैक सर्टिफिकेट नहीं है। जबकि यूजीसी के इस संबंध में स्पष्ट निर्देश हैं कि २०१४ से छह साल या उससे पुराने इंजीनियरिंग कॉलेजों को बिना इस सर्टिफिकेट के यूनिवर्सिटी मान्यता नहीं दे। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) ने पिछले वर्ष ऐसे इंजीनियरिंग कॉलेजों को नोटिस जारी किए थे, जिनके पास सर्टिफिकेट नहीं था। सर्टिफिकेट के लिए उन्हें एक साल का समय दिया गया था। यह अवधि इस साल समाप्त हो चुकी है। 
सुविधाओं का आंकलन करती है टीम 
अपने दौरे के समय टीम छात्र शिक्षक अनुपात बेहतर होने के साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर, प्रयोगशाला, कम्प्यूटर लैब की सुविधा का आकलन करती है। कॉलेजों का मूल्यांकन कॅरीकुलम, अध्ययन, अध्यापन, शोध, इंफ्रास्ट्रक्चर, छात्र सहायता, बेहतर प्रशासन व प्रबंधन के साथ ही इनोवेशन के आधार पर किया जाता है।
कॉलेजों ने भेजे आमंत्रण
तकनीकी शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में नैक की टीम को दौरे के लिए कई कॉलेज आमंत्रण भेज चुके हैं। जिन कॉलेजों में टीम का दौरा होना बाकी है, वहां विभाग की ओर से मॉक ड्रिल कराई जा रही है, ताकि कॉलेजों को यह पता लग सके कि टीम के वास्तविक दौरे के समय क्या कदम उठाने चाहिए।